इन बातों का रखें ध्यान वास्तु शास्त्र के अनुसार,
1 पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा को ईशान कोण भी कहा जाता है और इस दिशा में ऊर्जा का भंडार होता है। ईशान कोण को देव दिशा भी कहते हैं। इसलिए देवताओं का घर यानी आपके घर का मंदिर इस दिशा में होना चाहिए। अगर ईशान कोण में मंदिर बन पाना संभव ना हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करवाएं।
2 जब हम भगवान कि किसी प्रतिमा या मूर्ति की पूजा कर रहे हों तब आपका मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए। अगर पूर्व दिशा की ओर मुंह नहीं हो पा रहा है तो पश्चिम दिशा भी शुभ मानी गई है। इन दोनों दिशा की तरफ पूजा करना वास्तु के हिसाब से उचित माना गया है।
3 ऊपर दिए गए निर्देशों के अनुसर ही पूजा घर का निर्माण करवाए.हो खातिर विशेषज्ञ से जरूर सलाह ले.